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Tuesday, January 26, 2010
बुम्म...बुम्म...बढ़ाम
टीवी रिपोर्टर(घायल व्यक्ति से):ओहहो!...आपको तो बहुत चोट लगी है..
घायल(कराहते हुए): जी!...
रिपोर्टर(उत्सुकता से):कितना नुकसान हुआ?
घायल(वीरता दिखाते हुए):कुछ खास नहीं...बस!..दो उंगलियाँ और एक पैर उड़ गया है
रिपोर्टर: ओह!...तो क्या आंतकवादियों ने जो बम फेंका था...वो फूट गया था?...
घायल(गुस्से से तिलमिलाते हुए): नहीं!...वो फूटा कहाँ था?...वो तो आहिस्ता से रेंगते हुए मेरे पास आया और बड़े ही प्यार से मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोला .....
'बुम्म...बुम्म...बढ़ाम'
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5 comments:
स्लो स्पीड बम्ब
परेड की तरह
बढ़ता हुआ
कोहरे से कंपकंपाता
एक मधुर गीत गाता।
हमारा गणतंत्र अमर रहें...गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई
बहुत कोहरा है। बम आवाज दबके रह गई
इसी धोखे मे बेचारे की एक टांग उड़ गई
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
बढिया हिट किया है
वाह क्या व्यंग्य किया है हास्य के माध्यम से.
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