Friday, January 8, 2010

इतना तो पागल नहीं हूँ मैं

 bank manager

संता की चेकबुक खो गई। वह बैंक पहुंचा और नई चेकबुक की मांग की।

अधिकारी ने संता को समझाया कि..."तुम्हें अपनी चेकबुक संभाल कर रखनी चाहिए थी। कोई भी इसका मिसयूज़ कर सकता है"...
संता: "वह कैसे?" ...
अधिकारी : '"तुम्हारे चेकों पर कोई सिग्नेचर कर सकता है"...

संता : 'इतना तो पागल नहीं हूँ मैं'...

अधिकारी : "क्या मतलब?'...

संता: " ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि मैने पहले से ही सभी चेक पर अपने सिग्नेचर किए हुए है। '

 

santa singh

11 comments:

Khushdeep Sehgal said...

राजीव भाई,
इस संता से अपनी दोस्ती करवाओ न...

जय हिंद...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

हा हा हा हा .......संता बहुत समझदार है.........

अविनाश वाचस्पति said...

@ खुशदीप सहगल

संता से दोस्‍ती करनी है
तो जेब ढीली कीजिए
बिना नागा
दैनिक नवभारत टाइम्‍स परचेजिए।

अविनाश वाचस्पति said...

संता को पागल
कहके आपने
अच्‍छा नहीं किया
...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हा हा हा हा हा
संता का जवाब ही नही!:)

निर्मला कपिला said...

हा हा हा बडिया शुभकामनायें

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

हा हा हा ये भी खूब रही!!!

M VERMA said...

क्या यह बता सकते हैं कि उसकी चेकबुक कहाँ खोई थी?

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाह भाई, संता!

अजय कुमार झा said...

ओह ! तो वो संता की थी ......लेकिन उसने सारे चैकों पर पैसे लेने वाले के नाम की जगह...रणछोडदास श्यामलदास छांछड .....नहीं नहीं ... श्रीमान राजीव तनेजा ...हां ऐसा ही कुछ ...लिखा था .....आप जानते हैं क्या उनको । संता से कहिए कि अगली बार भी चैक बुक को साईन करके ही रखे ..टाईम बचता है

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने!

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